Solah Somvar Vrat Katha: देवी पार्वती की कथा
सोलह सोमवार व्रत कथा एक प्रमुख हिंदू व्रत है, जो भगवान शिव की पूजा और देवी पार्वती की कथा के माध्यम से मनाया जाता है। यह व्रत विशेष रूप से भारतीय महिलाओं के बीच लोकप्रिय है और इसे पूरे उत्तर भारत में उत्साह से मनाया जाता है। इस व्रत कथा के माध्यम से महिलाएं अपने पतियों की लम्बी आयु और खुशहाल जीवन की कामना करती हैं।
सोलह सोमवार व्रत कथा
कथा का आरंभ उत्तर भारत के एक गांव में एक गरीब परिवार के साथ है। इस परिवार में एक युवती नाम मन्दिरा नामक थी, जो कि बड़ी संवेदनशील और धार्मिक थी। उसका पति, सोमनाथ, बीमार था और उसका इलाज कराने के लिए बहुत समय से उसकी कोई निर्धारित आय कमाने का कोई स्रोत नहीं था। मन्दिरा ने अपने पति का इलाज करवाने के लिए देवी पार्वती की भक्ति में डूब कर अपने प्रार्थनाओं को समर्पित कर दिया।
एक दिन, जब मन्दिरा वृक्ष के नीचे पूजा कर रही थी, तभी उनके समक्ष देवी पार्वती का स्वरूप प्रकट हुआ। उन्होंने मन्दिरा से पूछा कि क्या वह किसी व्रत की आराधना कर रही हैं। मन्दिरा ने देवी से अपने पति के इलाज की प्रार्थना की और उन्हें अपनी मुश्किलें सुनाईं।
देवी पार्वती ने मन्दिरा को सोलह सोमवार व्रत के बारे में बताया और कहा कि उसे हर सोमवार को स्नान करके शिवलिंग पर जल अर्पित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह व्रत उनके पति के उपचार में सहायक होगा और उनका दुःख दूर करेगा।
मन्दिरा ने देवी के उपदेश का पालन करते हुए सोलह सोमवार व्रत की शुरुआत की। हर सोमवार को उन्होंने व्रत किया और भगवान शिव की पूजा की। उनकी भक्ति और निष्ठा में वृद्धि हुई और उनके पति की सेहत में भी सुधार आई।
एक सोमवार को, जब मन्दिरा शिवलिंग पर जल अर्पित करने के लिए गंगा नदी में गई थी, तभी उन्हें गर्म पानी में गिरने का अवसर मिला। वे गिर गईं और गंगा नदी में डूबने लगीं। लेकिन उनकी आस्था ने उन्हें बचा लिया और वे अद्भुत रूप से अच्छा महसूस करने लगीं। इसके बाद से, उनके पति की सेहत में बड़ा सुधार आया और उनका जीवन धन्य हो गया।
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सोलह सोमवार व्रत का महत्व
सोलह सोमवार व्रत का महत्व अत्यंत उच्च है। इस व्रत को करने से विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं और उनके साथ खुशहाल जीवन बिताना चाहती हैं। इस व्रत का नियमित रूप से पालन करने से भगवान शिव और देवी पार्वती की कृपा प्राप्त होती है और व्यक्ति को उनकी आशीर्वाद मिलता है।
सोलह सोमवार व्रत की आरती
आरती:
जय शिव ओंकारा, हर शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव अर्द्धांगी धारा॥
एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे,
हंसासन गरुड़ासन वृषवाहन साजे॥
दोहा:
जय कारुन्दधारा हरि हर,
जय सर्वग्या सदाशिव जगपति।
तुम नारायणी करते, ब्रह्मा सनातन,
अवगुणी भव दुखहर्ता, कार्य सिद्धि करत उत्तम॥
त्रिनेत्र दशभुजा दशभुजा अति सुंदर,
त्रिकाल दर्शी करत उद्धार॥
संकट हरण मंगलकारी, दूर करो विघ्न विनाशनी।
सोलह सोमवार व्रत की कथा, सब को सुनाओ नित कठिन धर्म की चढ़ाओ॥
यह आरती भगवान शिव की पूजा के समय गाई जाती है और सोलह सोमवार व्रत के अवसर पर भी विशेष रूप से गाई जाती है। इस आरती के गान से भगवान शिव की पूजा करने वाले व्यक्ति को अद्भुत शांति और सुख की अनुभूति होती है।
क्या यह व्रत केवल महिलाओं के लिए है?
नहीं, सोलह सोमवार व्रत को महिलाएं और पुरुष दोनों ही कर सकते हैं। यह व्रत सभी वर्गों के लोगों के लिए उपयुक्त है।
सोलह सोमवार व्रत कब किया जाता है?
यह व्रत सोमवार को ही किया जाता है, और इसे सोलह सप्ताह (छह महीने) तक नियमित रूप से किया जाता है। विशेष अवसरों पर इस व्रत का विशेष महत्व होता है।
सोलह सोमवार व्रत के क्या नियम होते हैं?
इस व्रत में प्रतिदिन सोमवार को व्रत करना होता है, जिसमें व्रती को स्नान करना, शिवलिंग पर जल अर्पित करना, भगवान शिव की पूजा करना, और व्रत को तोड़ने के नियम होते हैं।
क्या सोलह सोमवार व्रत का महत्व है?
हां, सोलह सोमवार व्रत का महत्व अत्यंत उच्च है। इस व्रत को करने से व्यक्ति को धार्मिक, आध्यात्मिक, और भौतिक लाभ होता है, और उन्हें भगवान शिव और देवी पार्वती की कृपा प्राप्त होती है।